देशवासी पहले ही कोरोना की मार झेलनी पड़ रही है ऊपर से एक और मुसीबत सामने आ रही है। देश में मंकीपॉक्स के मामले भी सामने आ रहे।अब केरल के अलावा दिल्ली में भी एक मंकीपॉक्स का मिला है।देश में एक ओर कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है तो दूसरी ओर मंकीपॉक्स का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. देश में अब तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आ चुके है।
24 जुलाई 2022 को राजधानी में मंकीपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया. दिल्ली में मिले इस मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. इस शख्स को यह बीमारी स्थानीय संक्रमण से हुई है. कुछ दिन पहले ही यह शख्स हिमाचल प्रदेश से लौटा है. वहीं, केरल में इस बीमारी के जो मामले सामने आए हैं, वे सभी संयुक्त अरब अमीरात से आए थे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मंकीपॉक्स वायरस कोरोना वैक्सीन लेने वाले शख्स को भी हो सकता है? इस बीमारी की चपेट में पहले कौन आ सकता है? मंकीपॉक्स के लक्षण वाले मरीजों के ब्लड सैंपल जांच के लिए कहां भेजे जाते हैं? इस बीमारी की पुष्टि होने में कितने दिनों का वक्त लगता है? क्या हैं मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण और लक्षण दिखने के बाद मरीज को सबसे पहले कहां जाना चाहिए? साथ ही इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति कितने दिनों के बाद ठीक हो जाता है?
दिल्ली में मिले मंकीपॉक्स के एकमात्र मरीज का इलाज लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के 7वें फ्लोर पर किया जा रहा है. यह मरीज फिलहाल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है और मरीज ठीक होने लगा है. एलएनजेपी अस्पताल में मंकीपॉक्स मरीजों के लिए नियुक्त किए गए नोडल ऑफिसर डॉ. विनीत रेलहन न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं. “34 साल का यह शख्स करीब तीन दिन पहले ही एलएनजेपी अस्पताल में मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण दिखने के बाद भर्ती कराया गया था. मरीज के नमूने शनिवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे भेजे गए थे. शख्स के ब्लड सैंपल की जांच के बाद नमूने पॉजिटिव पाए गए. हालांकि, इस व्यक्ति का विदेश से यात्रा करने का कोई इतिहास नहीं है. इस शख्स को बुखार और त्वचा के घावों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यह मरीज अब ठीक हो रहा है और किसी भी तरह का खतरा नजर नहीं आ रहा. मरीज ठीक है.”
मंकीपॉक्स क्या है?मंकीपॉक्स वायरस से फैलने वाली बीमारी है. यह एक वायरल जूनोटिक संक्रमण है, जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है. यह मुख्य रूप से पश्चिमी अफ्रीकी देशों मुख्य रूप से नाइजीरिया और कांगो में कृन्तकों से मनुष्यों में प्रेषित किया गया था. इस बीमारी को मंकीपॉक्स कहा जाता है, क्योंकि इसकी पहचान पहली बार 1958 में ज़ैरे (अब कांगो) में अनुसंधान के लिए रखी गई बंदरों की कॉलोनियों में हुई थीं. यह बाद में 1970 में मनुष्यों में पाया गया था.
वर्तमान में यह महामारी मुख्य रूप से शरीर के यौन मार्ग के माध्यम से मानव से मानव शरीर में फैलता है. इस बीमारी का फैलने का सबसे आसान तरीका संपर्क और यौन मार्ग है. दुनिया में सबसे ज्यादा मामले समलैंगिक में देखे गए हैं. इसलिए इस बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा इन्हीं वर्ग को है. इसके साथ ही यह बीमारी जैसे मुंह से मुंह, त्वचा का सीधा संपर्क, फोमाइट्स के जरिए भी आप संक्रामित हो सकते हैं. इसमें त्वचा में घाव, पुटिका द्रव, पपड़ी के टुकड़े अत्यधिक संक्रामक होते हैं.