ट्रांसगिरी के ट्राईबल स्टेटस का मुददा केन्द्रीय एससीएसटी कमीशन के पास पंहुच गया है। अनुसूचित जाति के लोगो ने बुधवार को शिमला में कमीशन के चेयरमेन के सामने अपनी आपतियां दर्ज करवाई उन्होने दो टूक कहा, कि वो ट्राईबल नही बनना चाहते है। जबकि सरकार कुछ लोगो के उकसावे पर उनको जबरन ट्राईबल बना रही है।

उन्होने कहा यह क्षेत्र ट्राईबल मापदंडो पर खरा नही उतरता है,जबकि सत्ताधारी दल राजस्व रिकार्ड में छेड़छाड कर राजपूतो और ब्राह्मण की जगह दुसरी जाति लिखवा रही है। जनजाति समुदाय में कोई जाति और धर्म नही होता जबकि इस क्षेत्र में सभी हिन्दु धर्म के लोग है जिनमें जातिवाद चरम सीमा पर है,और जातिवाद पर सबसे ज्यादा विवाद है।

दलित समुदाय ने बताया कि जातिवादी अत्याचारो से रक्षा करने के लिए जो एट्रोसिटी कानून बना है वो एसटी बनने पर खत्म हो जाऐगा। अभी इस क्षेत्र में यह कानून लागू है,फिर भी जिला मे सबसे ज्यादा जातिय उत्पीड़न के मामले इसी क्षेत्र मे होते है।

दलित समुदाय ने अपने लिखित शिकायत मे कहा कि सरकार दलित समाज को आग में झोकने का काम कर रही है। अगर अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग इस पर। संज्ञान लेता है तो सरकार के लिए यह मुददा गले की फांस बन सकता है।

मोदी सरकार बनने के बाद से दलित समुदाय का ज्यादातर वोट भाजपा के पक्ष मे जा रहा है,अगर सरकार दलितो को नाराज करती है तो आने वाले दिनो मे इसका नुकसान हो सकता है। इसी साल राज्य मे विधानसभा चुनाव है और अगर दलित नाराज हुए तो ट्राईबल के साथ साथ भाजपा को पुरे प्रदेश मे नुकसान होगा। क्योंकि दलित पहले ही भाजपा पर आरक्षण खत्म करने के आरोप लगा रहे है। हिमाचल मे पंजाब के बाद सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के लोगो का प्रतिशत है,जो सरकार का मिशन रिपीट मिशन डिलीट मे बदल सकते है। 

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