इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) से एम्स ऋषिकेश के लिए यूरोलॉजी, एनेस्थीसिया समेत दो अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष प्रशिक्षण लेने गए हैं।

रोबोटिक सर्जरी शुरू करने से पहले आईजीएमसी की चार सदस्यीय टीम सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के लिए रवाना हो गई। यह टीम यहां पर सर्जरी करने के लिए ऑपरेशन थियेटर संबंधी अन्य जानकारी हासिल करेगी। इसमें टीम यह भी देखेगी कि अस्पताल में मौजूदा समय में जो ऑपरेशन थियेटर बने हैं वह इस रोबोटिक सर्जरी के लिए पर्याप्त हैं या नहीं। इसके अलावा अन्य तकनीकी जानकारी भी हासिल करेंगे। चार सदस्यीय टीम के लौटने के बाद आईजीएमसी प्रबंधन अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे। आईजीएमसी प्राचार्य डॉ. सीता ठाकुर ने इसकी पुष्टि की है।

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) से एम्स ऋषिकेश के लिए यूरोलॉजी, एनेस्थीसिया समेत दो अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष प्रशिक्षण लेने गए हैं। ऋषिकेश में पहले ही रोबोटिक सर्जरी शुरू हो चुकी है, ऐसे में यहां के सर्जरी के मॉडल को देखने के बाद आईजीएमसी में इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बाद चिकित्सक और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा।

आंत, कैंसर और लिवर के मरीजों को मिलेगा लाभ

आईजीएमसी के डॉक्टरों का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी के जरिये आंत, कैंसर और लिवर समेत गंभीर बीमारियों के मरीजों को इसका लाभ होगा। इस तकनीक के जरिये चिकित्सक एक कंसोल में बैठकर सर्जिकल साधनों की मदद से पेट के कैंसर, बड़ी आंत, प्रोस्टेट और लिवर के कैंसर का ऑपरेशन आसानी से कर सकेंगे। एक सामान्य ऑपरेशन में जहां तीन घंटे से अधिक का समय लगता है वहीं इसमें एक से डेढ़ घंटे में ऑपरेशन हो जाएगा। इसके अतिरिक्त पांच से सात डॉक्टरों और नर्सों की टीम की जगह एक चिकित्सक, एक एनेस्थीसिया चिकित्सक और एक सिस्टर आॅपरेशन का काम संभाल लेंगे।

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