अटूट धार्मिक मान्यताओं को समेटे है पातालेश्वर महादेव मंदिर

पाँवटा के पातलियों शिव मंदिर के एतिहासिक स्वयंभू शिवलिंग की हर साल बढ़ रही उंचाई, यहां की महाशिवरात्रि इसलिए हैं खास…

घने जंगलों के बीच स्थित पाँवटा साहिब के पातलियों के एतिहासिक स्वयंभू पातालेश्वर महादेव मंदिर पाँवटा के उन शिव मंदिरों मे से एक है जहां महाशिवरात्रि पर हर साल विशाल मेला आयोजित होता है। यहां पर महादेव का स्वंय-भू शिवलिंग है। जिसकी पूजा अर्चना वैसे तो हर रोज होती है। लेकिन हर सोमवार व महाशिवरात्रि के दिन तो यहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। जानकार बतातें है कि पहले यहां पर घना जंगल होता था। बाद में यहां के लोगो ने जंगल में कई फीट लंबा व चौड़ा शिवलिंग देखा। इसके बाद यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया गया है। इस प्राचीन और पवित्र स्थल में अब हजारो की संख्या में दूर दूर से शिव भक्त पंहुचते है। इस स्थान की अलग अलग मान्यता है।

पहली मान्यता यह है कि यहां पर ऋषि पतांजलि ने भगवान शंकर की तपस्या की थी। उस समय यहां पर घना जंगल था। मान्यता है कि ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए। पतांजलि नाम के कारण इसका नाम बाद में पातालेश्वर पड़ा है।

एक और मान्यता यह है कि यहां पर पांडवो ने भी कुछ समय बिताया। इस दौरान उन्होंने यहां पर शिव शंकर की पूजा अर्चना की। जिस कारण बाद में यह जगह प्रसिद्व हो गई। भक्त बतातें है कि यहां पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग की उंचाई हर साल बढ़ती रहती है। पातलियों पातालेश्वर मंदिर घना जंगल होता था। स्वंय-भू शिवलिंग के कारण इस जगह का नाम धीरे प्रसिद्व हो गया। यहां पर माॅलवा काॅटन फैक्टरी ने शुरू में योगदान देकर मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद पातालेश्वर मंदिर समिति का गठन किया गया।

समिति के प्रयासों के बाद सरकार व शिव भक्तो के सहयोग से यहा पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया है। जंगल के बीच स्थित इस मंदिर मे महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है। जिसमे हजारों की संख्या मे श्रद्वालू आते है। इस दौरान यहां विशाल भंडारे का भी आयोजन होता है। इस बार यह महापर्व 18 फरवरी यानि शनिवार से शुरु हो रहा है।

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