डेंगू से पीड़ित वन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी के लिए उस वक्त उहापोह की स्थिति बन गई जब बुखार से पीड़ित होने पर सरकारी लैब से डेंगू की रिपोर्ट नेगेटिव आई। उद्योग मंत्री के परिवार से संबंध रखने वाले कर्मचारी को संदेह हुआ। इसके बाद तुरंत बाहर एक निजी लैब में टेस्ट करवाने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दो बार टेस्ट करवाने पर डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव ही आने पर उपचार शुरू करवाया गया लेकिन सरकारी लैब की रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

जिला सिरमौर गिरिपार क्षेत्र के कांडों च्योग निवासी उद्योग मंत्री के परिवार के सदस्य व जिला सोलन से वन विभाग के सेवानिवृत्त अधीक्षक जेएस चौहान (65) ने बताया कि चार दिन पहले तबीयत नासाज हुई। बुखार होने व शरीर टूटने पर सिविल अस्पताल पांवटा उपचार को पहुंचे। चिकित्सक ने जांच करने के बाद डेंगू का टेस्ट करवाने को भी लिखा। इसके बाद काफी देर तक अपनी बारी का इंतजार करने के बाद रिपोर्ट आई। सरकारी लैब की डेंगू रिपोर्ट नेगेटिव आई लेकिन शरीर में डेंगू जैसे ही लक्षण व दर्द हो रही थी। मात्र 15 मिनट के भीतर ही बाहर निजी लैब से टेस्ट करवाया गया जिससे अपने मन को भी तसल्ली हो सके। निजी लैब में रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दो बार टेस्ट होने पर लगातार प्लेटलेट्स गिर रहे हैं।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि डेंगू होने पर भी सरकारी लैब से रिपोर्ट नेगेटिव आना कई सवार खड़े कर रहा है। ऐसे में किसी की जान से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। समय रहते स्वास्थ्य विभाग को इसकी जांच व लैब के टेस्ट की कसौटी को खरा करना होगा क्योंकि ये लापरवाही भरे रिपोर्ट किसी मरीज के लिए जानलेवा भी हो सकती है। सिविल अस्पताल पांवटा के कार्यकारी प्रभारी डॉ. एवी राघव ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं आया है। मरीज की निजी व सरकारी दोनों लैब की रिपोर्ट जांच की जाएगी जिससे इस मामले में स्थिति साफ हो सके।

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