हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में बेसहारा पशुओं की दुर्दशा पर कड़ा संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि बजट में 50 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके बावजूद पशुओं की दुर्दशा में सुधार नहीं हुआ है। कांगड़ा की लुथान गो सेंक्चुरी पर जनहित याचिका की पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यहां पर पशुओं को ठूंस-ठूंस कर भरा है। यहां सिर्फ सूखा चारा दिया जाता है।

अधिवक्ता ने जब इस सेंक्चुरी का दौरा किया तो पाया कि खुले में मरे हुए पशुओं के कंकाल फेंके गए हैं। उन्होंने बताया कि गोसदन के नाम से करोड़ों के बजट का प्रावधान है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने शराब की हर एक बोतल पर 10 रुपये गोशुल्क वसूलने का प्रावधान था। इसके बावजूद यह पैसा कहां खर्च किया जा रहा है। इसके बारे में कुछ भी लेखा-जोखा नहीं है। उन्होंने बताया कि इस मामले में करोड़ों के घोटाले होने की संभावना जताई जा रही है।

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