हिमाचल हाईकोर्ट ने आईपीएस अधिकारी अंजुम आरा, पूर्व डीजीपी संजय कुंडू समेत 10 अफसरों के खिलाफ एट्रोसिटी अधिनियम के तहत दायर केस रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) अत्याचार निवारण के तहत इसमें कोई आपराधिक मामला नहीं बनता। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने कहा कि जो एफआईआर दर्ज की गई है उसे जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। निलंबित कांस्टेबल धर्म सुख नेगी पर विभाग ने जो कार्रवाई की थी, वह विभागीय जांच की एक प्रक्रिया है। अदालत में हिमाचल पुलिस ने कांस्टेबल धर्म सुख नेगी की पत्नी मीना नेगी की ओर से दायर एफआईआर में रद्दीकरण रिपोर्ट पेश की।

बता दें कि किन्नौर निवासी निलंबित पुलिस कांस्टेबल नेगी की पत्नी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू समेत 10 पुलिस अफसरों पर एफआईआर दर्ज करवाई। इनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1)(पी), एससी-एसटी एक्ट 1989 के तहत केस दर्ज किया गया। नेगी की पत्नी ने पूर्व डीजीपी समेत अन्य पुलिस अधिकारियों पर पति का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। महिला ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज शिकायत में आरोप लगाया कि उच्च अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए उसके पति को नौकरी से निकाला है। महिला ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, रिटायर आईपीएस हिमांशु मिश्रा और अरविंद शारदा, एसपी शालिनी अग्निहोत्री, दिवाकर दत्त शर्मा, अंजुम आरा खान, भगत सिंह ठाकुर, पंकज शर्मा, मीनाक्षी और डीएसपी बलदेव दत्त के खिलाफ एफआईआर कराई है। इसे लेकर आईपीएस अधिकारी अंजुम आरा, पंकज शर्मा और बलदेव दत्त ने उन पर लगाए आरोपों को निराधार बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राथमिकी को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द कर दी।