हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के शिलाई दौरे के विरोध में दलित संगठन हैं। सुंदर चौहान शुक्रवार को सीएम के प्रस्तावित शिलाई दौरे को लेकर दलित संगठन मुखर हो गए है। संगठनो ने सीएम के शिलाई दौरे का विरोध करने का फैसला लिया हैं। दलितो ने आरोप लगाया कि सीएम एक वर्ग को खुश करने मे लगे है, जबकि उनकी कोई सुनवाई नही हो रही हैं। दलित संगठनो ने मुख्यमंत्री के इस प्रवास से दूरी बनाने का फैसला लिया है। उनका आरोप है कि तीन से चार बार सीएम को दलित संगठनो ने अपनी मांग का ज्ञापन सीएम को सौंपा लेकिन उस पर कोई सुनवाई नही हुई। अब सीएम का विरोध ही उनके पास अगला रास्ता बचा है। दलित संगठनो ने दो टूक कहा है अगर उनकी अनदेखी हुई तो आने वाले विधानसभा चुनाव मे भाजपा के खिलाफ एकतरफा वोट करेगे। आपको बता देते है कि ट्रांसगिरी के ट्राईबल स्टेटस को लेकर शिलाई के एक भाजपा नेता ने एलान किया है कि विधानसभा चुनाव से पहले ट्रांसगिरी को ट्राईबल का दर्जा दे दिया जाऐगा। दलित संगठन इसका विरोध कर रहे है। उनका आरोप है कि अगर ट्रांसगिरी ट्राईबल बनता है तो सरकार ने उनकी मदद के लिए जो एट्रोसिटी एक्ट बनाया है वो निष्कृय हो जाऐगा। साथ ही पंचायत स्तर पर मिलने वाला रोस्टर भी निष्प्रभावी हो जाऐगा। जिससे उनको जातिय हिंसा का खतरा बढने की आशंका है। दलित संगठनो का कहना है सिरमौर जिला में एट्रोसिटी एक्ट के तहत जितने मामले दर्ज होते है उनमे से 80 फिसद इसी क्षेत्र मे होते है। दलित संगठनो ने बताया जिन लोगो को सरकार ट्राईबल स्टेटस दे रही है वो ही उनके साथ जातिय दुर्व्यवहार करते है। उनके हाथ का बना खाना नही खाते। उनको मंदिर में नही जाने देते और शादी विवाह व अन्य समारोह मे उनको खाना खाने के लिए अलग बिठाया जाता है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो उसके खिलाफ खुमली (कंगारू कोर्ट) बिठा दी जाती है। जिसमे एक तरफा दंडात्मक फैसला सुना दिया जाता है। जातिय हिंसा के मामले में सिरमौर मे यह सबसे संवैदनशील क्षेत्र है। केन्द्र की मोदी सरकार जमीनी हकीकत जांचे बगैर ही राजनैतिक हित साधने के लिए इस क्षेत्र को ट्राईबल दर्जा देने पर विचार कर रही है। दलित संगठनो ने यह भी आरोप लगाए कि मोदी सरकार बहुसंख्यक स्वर्ण समाज को खुश करने के लिए उनके आरक्षण को खत्म करना चाहती है। इसी लिए इस क्षेत्र को ट्राईबल दर्जा दिया जा रहा है। अन्यथा यह क्षेत्र ट्राईबल के मापदंडो को पूरा नही करता है। यह बाते पूर्व मे हुए सर्वे मे सामने आई थी जिसके बाद तत्काल सरकार ने इसे होल्ड पर रख दिया था. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार बहुसंख्यक स्वर्ण को खुश करने के लिए फिर से इस मुददे को उछाल रही है। दलित संगठनो ने कहा अगर सरकार उनकी अनदेखी करती है और उनको विश्वास में लिए बगैर ही इस क्षेत्र को ट्राईबल दर्जा देती है तो भविष्य में अपने संगठनो के माध्यम से प्रदेश और केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगे। दलित संगठनो का कहना है कि अभी वो सीएम का विरोध कर रहे है आने वाले दिनो मे हर भाजपा नेता का विरोध करेगे।