अब दलित संगठन ओबीसी को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे है। दलितो ने ओबीसी नेताओं से अपने संपर्क साधने शुरू कर दिए है। अगर ओबीसी दलितो के साथ आते है तो ट्रांसगिरी में एक नया समीकरण बन सकता है। अभी कुछ लोग उनको भ्ररमित कर रहे है कि अगर दलित संगठन के साथ जाओगे तो यह लोग बाद में तुमको क्रूरता के झूटे मामलो में फंसाऐगे। यही कारण है कि ओबीसी अभी तक खुलकर ट्राईबल स्टेटस का विरोध नही कर रहे है। हालांकि जिन लोगो से हमारा संपर्क हो पाया और पढे लिखे है वो दबी जुबान से यह बात मान रहे है कि ट्राईबल स्टेटस मिलने के बाद उनका आरक्षण 28% से घटकर सीधा 7.5% पर आ जाऐगा। वर्तमान में देश में सबसे ज्यादा आरक्षण ओबीसी वर्ग को दिया गया है और ट्रांसगिरी में ओबीसी बड़ी संख्या में है, लेकिन फूट डालो और शासन करो की पोलिसी के तहत दलित समाज और ओबीसी को बांट दिया गया है, ताकि वो मिलकर इसका विरोध न करे। अभी ट्राईबल स्टेटस को लेकर सिर्फ दलित संगठन ही खुलकर मोदी सरकार का विरोध कर रहे है, जबकि ओबीसी अभी भ्रम में है। ओबीसी को लगता है कि अगर वह दलितो का साथ देगे तो उनका एट्रोसिटी एक्ट बहाल रहेगा। जबकि वास्तविकता यह है कि यह एक्ट सिर्फ ट्रांसगिरी के लिए नही बना है। यह कानून तो पुरे भारत में लागू है जिसे कोई भी सरकार खत्म नही कर सकती। अगर ओबीसी दलित संगठनो के साथ खुलकर विरोध मे नही आता है फिर भी क्रूरता का एक्ट बरकरार रहेगा। हिमाचल सरकार इस बात से दलितो को आश्वस्त भी कर रही है। दलितो के बीच यह संदेश फैल चुका है कि भाजपा हमेशा बहुसंखयक वर्ग को बढावा देती है,और उनको उकसाया जाता है। जहां पर मुस्लिम है वहां उनके खिलाफ और जहां दलित है वहां पर उनके खिलाफ। जिसके चलते प्रदेश स्तर पर सभी दलित संगठन एकजुट हुए है। ट्रांसगिरी में तो दलित संगठन खुलकर भाजपा नेताओं के विरोध में है, बीते दिनो धमौन गांव मे दलितो के विरोध के चलते एक भाजपा नेता को पुलिस बुलानी पड़ी थी। अगर दलित चुनाव मे भाजपा का बहिष्कार करती है, जैसा सुनने मे आ रहा है तो उनको नुकसान हो सकता है।अकेले शिलाई विधानसभा क्षेत्र में ही दलितो का 29% वोट है जो किसी दल का हार जीत का फैसला करने के लिए काफी मायने रखता है। जबकि समूचे ट्रांसगिरी की 154 पंचायत में 40% दलित है,जो अगले चुनाव मे राजनितीक दलो का खेल बिगाड सकते है। अगर ओबीसी भी उनके साथ आते है, तो फिर तो नेताओं की दादागिरि ही खत्म हो जाऐगी और दलित लोगो को उनका अधिकार मिल जाएगा।

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