पांवटा साहिब के विश्राम गृह में समाजसेवी नाथूराम चौहान ने प्रेसवार्ता में कहा कि 14 सितंबर का दिन इतिहास में लिखा जाएगा यह दिन तीन लाख हटियों के लिए बहुत पर्व का दिन है।उन्होंने कहा कि जनजाति का दर्जा मिलना तीन लाख हाटियों के संघर्ष का परिणाम है।उन्होंने कहा की ये आंदोलन दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा आंदोलन है जो 55 साल तक शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहा। उन्होंने कहा कि इस बार हाटीयों ने आर पार की लड़ाई का ठान लिया था।
उन्होंने कहा कि हाटी समितियों का भी इसमें बहुत बड़ा योगदान है और कई लोग तो संघर्ष करते-करते इस दुनिया से चले गए। उन लोगों को भी याद करने का वक्त है कई महिलाएं और बुजुर्ग यह कहते थे कि पता नहीं दर्जा कब मिलेगा तब तक हम रहेंगे कि नहीं रहेंगे।
कुछ इस दुनिया से चले गए लेकिन शांतिपूर्ण आंदोलनकारी आने वाले बच्चों के भविष्य के लिए बहुत कुछ कर गए। 55 साल से प्रयास होते रहे। साथ में उन्होंने जेपी नड्डा का भी आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा की जेपी नड्डा का इसमें बहुत बड़ा योगदान है।