चुनावी नतीजे महज आठ दिन बाद जनता का फैसला आने वाला है सवाल अब सरकार बनने या टूटने का है। एक तरफ भाजपा जहां मिशन रिपीट का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस सत्ता में आने को लेकर सहज जरूर है, मगर मुख्यमंत्री का चेहरा खेल बिगाड़ रहा है। ऐसे में अब सरकार से पहले मुख्यमंत्री खोज रही कांग्रेस में चिंता भीतर से भी होने लगी है। मुख्यमंत्री की दौड़ में बंटे धड़ों के बीच कांग्रेस के लिए संतुलन आसान नहीं है। कांग्रेस में मंथन इस बात पर हो रहा है कि सीटों का आंकड़ा 40 से नीचे रहा, तो पार्टी खेमों में बंट सकती है। दरअसल, किसी भी पार्टी के दो तिहाई चुने हुए विधायक विद्रोह करते हैं, तो इन हालात में दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। ऐसे में भाजपा का दखल कांग्रेसी खेमे का गणित बिगाड़ सकता है। जाहिर है कांग्रेस सत्ता तक पहुंचने लायक सीटें जीत लेती है, तो मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बड़ा घमासान मचने वाला है। इस क्रम में कांग्रेस नेताओं की नजरें भाजपा पर भी रहेंगी।

कांग्रेस में इस समय होलीलॉज बनाम अन्य की स्थिति बनती हुई नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के हालात राजस्थान से ज्यादा जुदा नहीं होंगे। फिलहाल, होलीलॉज की नब्ज टटोलें, तो यह चुनाव विक्रमादित्य के भविष्य का भी फैसला करने वाले हैं। अगर वह चुनाव जीत जाते हैं, तो दूसरी बार विधायक बनेंगे। वरिष्ठता और कद दोनों में इजाफा होगा। हालांकि ऐसे में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 40 से कम रहता है, तो पार्टी के बीच बड़ी खलबली जरूर देखने को मिलेगी। कांग्रेस के आला नेता अब इन समीकरणों पर भी विचार कर रहे हैं। ऐसे में चुनाव के ठीक बाद कांग्रेस के विधायकों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है, ताकि वे भाजपा के संपर्क में न आ सकें। ऐसे में कांग्रेस का एक खेमा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संपर्क में हैं। इससे साफ है कांग्रेस की सीटें 35 से 40 के बीच में रहती हैं, तो तमाम विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट किया जा सकता है और कांग्रेस का आला नेतृत्व छत्तीसगढ़ में ही नई सरकार के समीकरण जोडक़र मुख्यमंत्री के चेहरे की पहचान कर सकता है। वहीं, यदि कांग्रेस 40 से ज्यादा सीटें जीत जाती है, तो ऐसे हालात नहीं बनेंगे। (एचडीएम)

कांग्रेस सरकार बनाने के लिए आवश्यक आंकड़े 36 के आसपास ठहरती है, तो भाजपा के लिए यह बड़ा अवसर होगा। भाजपा जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने का प्रयास कर सकती है। ऐसी संभावना हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला भी जता चुके हैं। कांग्रेस इस स्थिति में सहज नहीं होगी और उसे अपने विधायकों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस संभावना से निपटने की तैयारियां कर रहे हैं।

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