पहाड़ों की रानी शिमला आने वाले पर्यटकों को अब मनाली की तर्ज पर ग्रीन फीस देनी होगी। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। अप्रैल के बाद ग्रीन फीस की वसूली शुरू हो सकती है। राज्य सरकार से निर्देश के बाद नगर निगम शिमला ने आमदनी बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव तैयार किए हैं। इन्हीं में से एक प्रस्ताव ग्रीन फीस का भी है। बस, ट्रक के 300, कार के 200 और दोपहिया वाहन के लिए 50 रुपये ग्रीन फीस लेने की तैयारी है। हाल ही में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और शहरी विधायक हरीश जनारथा के साथ नगर निगम के अधिकारियों की बैठक में ग्रीन फीस पर चर्चा हो चुकी है।

अब नगर निगम जल्द ही ग्रीन फीस के प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजेगा। राज्य सरकार से हरी झंडी मिली तो नगर निगम को हर साल करीब 12 करोड़ रुपये की आय होगी। नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त बीआर शर्मा ने माना कि बैठक में ग्रीन फीस को लेकर चर्चा हुई है। उल्लेखनीय है कि प्रस्ताव सरकार को भेजने से पहले नगर निगम फीस वसूली का पुख्ता इंतजाम करने पर मंथन कर रहा है। शिमला शहर में साल 2014 में भी ग्रीन फीस लेने की व्यवस्था शुरू की थी। फीस लेने के लिए तारादेवी के पास बैरियर लगाया गया था। हालांकि, यहां लगने वाले जाम और बैरियर के विवाद के चलते कुछ महीने बाद ही फीस वसूली बंद करनी पड़ी थी।

पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में तीन बार भेजा प्रस्ताव

साल 2016 से नगर निगम लगातार फीस वसूली का प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेज चुका है लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में तीन बार यह प्रस्ताव भेजा गया लेकिन फाइल वित्त विभाग से आगे नहीं बढ़ पाई थी। हाल ही में मुख्यमंत्री सुक्खू और विधायक हरीश जनारथा के साथ हुई बैठक में निगम अधिकारियों ने शहर में नए काम के लिए पैसा न होने का मामला उठाया था। इस पर निगम को खुद अपने आय के स्रोत बढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं।

मनाली में फास्टैग से हो रही वसूली

शिमला से पहले मनाली में बाहरी राज्यों के वाहनों से प्रवेश पर ग्रीन फीस की वसूली की जा रही है। यहां वाहनों में लगे फास्टैग से फीस ली जा रही है। इससे यहां बैरियर लगाकर गाड़ियां रोकने की जरूरत नहीं पड़ती। फास्टैग से चंद सेकंड में यह फीस कट जाती है। जिनके पास फास्टैग नहीं है, उनसे नकद फीस ली जा रही है।

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