संजीव के बगीचे में सेब, नाशपाती और प्लम की सौ से अधिक किस्में लगी हैं। सेब बागवानी में उपलब्धियों के लिए इन्हें प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान भी मिल चुका है।

इंटरनेट मीडिया के जरिये शिमला जिले के प्रगतिशील बागवान संजीव चौहान युवाओं को बागवानी के प्रति जागरूक कर रहे हैं। यू ट्यूब चैनल ‘द एप्पल ब्लूम’ और फेसबुक पेज ‘द आचर्ड ब्लूम’पर संजीव सेब की नई किस्मों, ऊंचाई के हिसाब से सेब की किस्मों का चयन, सेब में लगने वाली बीमारियों से बचाव के उपाय और सेब की मार्केटिंग के गुर सिखा रहे हैं।

शिमला जिले के कोटखाई बखोल के रहने वाले संजीव चौहान ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया कि 16 सालों से वह बतौर स्वरोजगार बागवानी कर रहे हैं। 2007 में युवाओं को बागवानी करने के लिए प्रेरित करने को मैग्जीन निकाली।

2012 में एप्पल ब्लूम किताब लिखी। महज 5 साल में उन्होंने अपने बगीचे में सेब उत्पादन 25 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 65 मीट्रिक टन तक पहुंचा दिया। संजीव के बगीचे में सेब, नाशपाती और प्लम की सौ से अधिक किस्में लगी हैं। सेब बागवानी में उपलब्धियों के लिए इन्हें प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान भी मिल चुका है।

संजीव चौहान का कहना है कि बागवानी को बचाने के लिए जंगलों को बचना जरूरी है। पेड़ों का कटान होने से बारिश बर्फबारी प्रभावित हो रही है। यूनिसेफ भी धरती का तापमान बढ़ने को लेकर चेतावनी दे चुका है। यह बागवानी के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है। इसलिए जंगलों को बचाकर और पौधारोपण कर जहां पर्यावरण संरक्षण संभव है वहीं सेब बागवानी का भविष्य भी सुरक्षित है।

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