स्कूल वर्दी के बेतहाशा दाम बढ़ने से अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है। बीते वर्ष 380 रुपये में बिकने वाली वर्दी की कमीज के दामों में 110 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
निजी स्कूलों में बच्चे को पढ़ाने वाले अभिभावकों इस साल महंगाई की मार पड़ी है। पठन सामग्री के साथ स्कूल वर्दी के दाम भी आसमान छू रहे हैं। स्कूल वर्दी के बेतहाशा दाम बढ़ने से अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है। बीते वर्ष 380 रुपये में बिकने वाली वर्दी की कमीज के दामों में 110 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। अब यह कमीज 490 रुपये में मिल रही है। आधी बाजू वाले स्वेटर की कीमत भी बढ़ गई है। बीते वर्ष 1,690 में बिकने वाला स्वेटर अब 2,500 में मिल रही है। सर्दी की छुटि्टयां खत्म होने के बाद अब स्कूल खुलने वाले हैं। अभिभावक कॉपी और किताबों के अलावा स्कूल वर्दी खरीदने के लिए बाजार पहुंच रहे हैं। बीते साल के मुकाबले कीमतों में बढ़ोतरी से अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है। लोअर बाजार पहुंचे अभिभावकों ने बताया कि स्कूलों में मौसम के हिसाब से अलग-अलग वर्दी लगाई गई है।
इसके अलावा सभी स्कूलों में बच्चों को हफ्ते में दो वर्दी पहनना जरूरी है। मिडल बाजार के वर्दी बेचने वाले व्यापारी ने बताया कि लगभग सभी निजी स्कूलों की वर्दी की कीमतों में इस बार 20 से 40 फीसदी तक वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि सभी स्कूलों की वर्दी के दाम अलग-अलग हैं। अभिभावक विनय ने बताया कि उनका बेटा दसवीं में पढ़ता है। किताबों सहित अब स्कूल की वर्दी के दाम बढ़ने से जेब पर दोहरी मार पड़ रही है। अभिभावक रमेश ने बताया कि उनकी आधे से ज्यादा तनख्वाह बच्चों की वर्दी और कॉपी-किताबें और अन्य सामान खरीदने में ही खर्च हो रही है। अभिभावक पारूल ने बताया कि बेटी चौथी कक्षा में पढ़ती है। पिछले साल 70 रुपये में बिकने वाली जुराबों का जोड़ा इस साल 90 रुपये मिल रहा है। इसके अलावा कुछ निजी स्कूलों की वर्दी के दाम आठ से दस हजार रुपये तक भी हैं।
स्कूल वर्दी के दामों में बढ़ोतरी
वर्दी पहले अब
पैंट 550-680
जूते 475-550
जुराब 70-90
कमीज 380-490
स्वेटर 1690-2500
केंद्रीय विद्यालय के बच्चों के अभिभावकों को राहत
निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों पर जहां महंगाई की मार पड़ी है। वहीं केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को राहत मिली है। केंद्रीय विद्यालय के छात्र एपसीईआरटी की किताबें पढ़ते हैं, इनके दामों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। वहीं वर्दी के दाम भी पिछले वर्ष के मुकाबले एक समान ही हैं।