हिमाचल प्रदेश में गाड़ियों के लिए वीआईपी नंबर लेने के पीछे बड़ा खेल होता है। प्रशासन की ओर से जब भी नंबर की सीरीज खुलती है तो पोर्टल पर ऑनलाइन बोलियां लगती हैं।
गाड़ी का वीआईपी नंबर लेने के लिए अब एडवांस में 30 फीसदी राशि को जमा करना अनिवार्य किया जा रहा है। परिवहन विभाग की ओर से ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। अगर अंतिम बोली लगाने वाला व्यक्ति गाड़ी का नंबर लेने से मुकरता है तो बोली नए सिरे से लगेगी। यानि दूसरे व्यक्ति व तीसरे नंबर पर बोली लगाने वाले को नंबर नहीं दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में गाड़ियों के लिए वीआईपी नंबर लेने के पीछे बड़ा खेल होता है। प्रशासन की ओर से जब भी नंबर की सीरीज खुलती है तो पोर्टल पर ऑनलाइन बोलियां लगती हैं। चार पांच लोग मिलकर ऑनलाइन बोलियां लगाते हैं।
नंबर पाने के लिए पहले व्यक्ति 50 हजार की बोली लगाता है, उसके बाद दूसरा एक लाख और अंतिम बोली एक करोड़ की लगती है। जब पोर्टल बंद हो जाता है तो परिवहन विभाग की ओर से जब अंतिम बोली लगाने वाले व्यक्ति को नंबर लेने के लिए कहा जाता है तो वह नंबर लेने से इंकार करता है। ऐसी स्थिति में परिवहन विभाग की ओर से दूसरे नंबर के व्यक्ति को नंबर लेने का मौका दिया जाता है। उसके भी मना करने के बाद तीसरे नंबर के व्यक्ति जिसने सबसे कम बोली लगाई होती है उसे यह नंबर दिया जाता है। कोटखाई में भी स्कूटी के नंबर के लिए ऑनलाइन लगाई गई एक करोड़ की बोली में भी यही हुआ है।
साइबर पुलिस भी चौंकी
कोटखाई में स्कूटी के नंबर के लिए लगाई गई एक करोड़ से ज्यादा की बोली ने साइबर पुलिस को भी चौंका दिया। एएसपी साइबर भूपिंद्र नेगी ने कहा कि जब इस बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि चार पांच लोग एकत्र होकर पोर्टल पर इस तरह का खेल खेलते हैं।